खता जिसकी भी हो.
खता जिसकी भी हो चाहे वो मेरी बताता है
मेरा महबूब फिर आहिस्ता से कुछ मुस्कुराता है!
मोहब्बत कितनी है मुझे उससे बस ये जानने को
देखो तो कैसे कैसे वो मुझको आजमाता है!
हर इक जगह...
मेरा महबूब फिर आहिस्ता से कुछ मुस्कुराता है!
मोहब्बत कितनी है मुझे उससे बस ये जानने को
देखो तो कैसे कैसे वो मुझको आजमाता है!
हर इक जगह...