खता जिसकी भी हो.
खता जिसकी भी हो चाहे वो मेरी बताता है
मेरा महबूब फिर आहिस्ता से कुछ मुस्कुराता है!
मोहब्बत कितनी है मुझे उससे बस ये जानने को
देखो तो कैसे कैसे वो मुझको आजमाता है!
हर इक जगह हर इक लम्हा वो साथ यूं तो मेरे
मगर दम निकलता है वो जब दूर जाता है!
है चाहत एक दूजे की हर एक पल रहती दोनों
कुछ इक तकरार के रंग मे वो मुझको सताता है!
पता है जान से ज़्यादा मुझे वो प्यार करता है
मेरा दिल मुस्कुरा उठता वो जब खुद से बताता है!
© Rashmi Garg #WritcoQuote #Shayari #poem #PopularWriter #Love&love #lifequotes
मेरा महबूब फिर आहिस्ता से कुछ मुस्कुराता है!
मोहब्बत कितनी है मुझे उससे बस ये जानने को
देखो तो कैसे कैसे वो मुझको आजमाता है!
हर इक जगह हर इक लम्हा वो साथ यूं तो मेरे
मगर दम निकलता है वो जब दूर जाता है!
है चाहत एक दूजे की हर एक पल रहती दोनों
कुछ इक तकरार के रंग मे वो मुझको सताता है!
पता है जान से ज़्यादा मुझे वो प्यार करता है
मेरा दिल मुस्कुरा उठता वो जब खुद से बताता है!
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