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बेटियों से भेद क्यो
गांधी के इस देश में बेटियों से भेद क्यो
चाणक्य के देश में सोच में ये छेद क्यो
लडका हो तो हरा भरा लड़की हो तो रेत क्यो
बेटों को हैं बाहर जाना, बेटियों को गेट क्यो
बेटों को प्यार दो बेटियों से hate क्यो
सांस क्यो है घुट रही, बेटियां क्यो दब रही
हर कई,हर कोई, जुल्म ये जो हर घड़ी
सहमी सी, नादान हैं तेरे घर की ये परी
हैं छड़ी दिखाता तू, छोटी परी को...