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"लोगों का काम है कहना"
लोगों का काम है कहना,
तुम शान्त रहकर निर्मल जल सा बहना..!
क्रोध ने सुलगाये है न जाने कितने घर,
धैर्य धारण कर तुम सरल स्वभाव में रहना..!
जितने मुँह उतनी बातें,
कट जायेंगी एक दिन ग़म की रातें..!
सताते है वो तो नज़रअंदाज करना,
पर ख़ुद की ख़ूबियों को भूल कर यूँ न ढहना..!
तपे हैं जो परिश्रम की ज्वाला में,
सफ़लता का ताज उन्हीं लोगों ने पहना..!
सर्वश्रेष्ठ है मन का विश्वास,
और यही है सुन्दरतम कीमती गहना..!
© SHIVA KANT
तुम शान्त रहकर निर्मल जल सा बहना..!
क्रोध ने सुलगाये है न जाने कितने घर,
धैर्य धारण कर तुम सरल स्वभाव में रहना..!
जितने मुँह उतनी बातें,
कट जायेंगी एक दिन ग़म की रातें..!
सताते है वो तो नज़रअंदाज करना,
पर ख़ुद की ख़ूबियों को भूल कर यूँ न ढहना..!
तपे हैं जो परिश्रम की ज्वाला में,
सफ़लता का ताज उन्हीं लोगों ने पहना..!
सर्वश्रेष्ठ है मन का विश्वास,
और यही है सुन्दरतम कीमती गहना..!
© SHIVA KANT
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