...

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अब में तुम्हें कहां अच्छा लागूँगा 🍁
में धीमा साज सुनने वाला, सियाह-रात में तन्हा सफर करने वाला, अकेले में घण्टों बैठकर तुझे सोचने वाला,
अंधेरों के सहर में डूब जाने वाला जैसे सूरज डूबता हो..!

तन्हा रहने की ख़्वाहिश-मंद, इस कायनात से भागे जाने की ख्वाइश रखने वाला, घण्टों किताबों में सर-दबे मदहोश रहने वाला, बहुत जल्द उकता जाने वाला अब में तुम्हें कहां अच्छा लगूँगा..!

लोगो से, मुस्कुराहटों से, खुशियों से, चीज़ों से, सबसे ज्यादा अपने आप से, ऐसे लड़के को आख़िर कौन भला पसन्द करता है, जिनकी अलग ही दुनिया हो, हर लम्हें ख़ामोशी जहां दिखावा ना हो, अपनी ही इक दुनिया हो जहां बस सादगी हो..!🥀