...

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कह मुकरी विधा
मैं मुस्काऊँ तो मुस्काए
मेरे रुदन पर अश्रु बहाए
निज छवि उस पर कर दूँ अर्पण
क्या सखी साजन!न री "दर्पण"
© दीp
कह मुकरी का शाब्दिक अर्थ है कह के मुकरना😊
यह एक वार्णिक छन्द है। जिसमें चार पंक्तियां होती हैं।
-यह छन्द दो सखियों के बीच के संवाद को दर्शाता है।
-प्रथम तीन पंक्ति में किसी वस्तु के लिए एक पहेली सी होती है एवं चौथी पंक्ति में उसका जवाब छुपा होता है।
-आखिरी पंक्ति "ए सखि साजन" या "क्यों सखि साजन" से ही शुरू होती है।