सपनों का शहर
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं ।
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे हुए सारे जमाने हैं ।
छोड़ के जाना पड़ा हसीन ईश्क हमारी
शायद इसमें भी तेरे कुछ बहाने थे ।
तेरे सपनों का...
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं ।
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे हुए सारे जमाने हैं ।
छोड़ के जाना पड़ा हसीन ईश्क हमारी
शायद इसमें भी तेरे कुछ बहाने थे ।
तेरे सपनों का...