15 views
सज़ा,,,,🌾🌾🌾
मुझे मंजूर है ता'जीर इश्क की
उसे चुना भी तो मैंने ही था
(ता'जीर=सजा़)
guilt कहें या आत्मगलानी,,,
पर जब ये जहन पर छा जाती है तो दिल और दिमाग को एक चुप्पी की काली चादर में ढक लेती है,,,,,आप चाहे फिर जितनी भी जोर से चीखे ,,ये आवाज़ किसी तक नहीं पहुंचती हैं,,,,
शोर सन्नाटा बन जाता है,,,,और
सन्नाटे में बहुत शोर होता है,,,
आप बहुत कुछ कहना चाहते हैं,,,,
दिल खोल कर सब बताना चाहते हैं,,,,
पर किसी से कुछ भी नहीं कह पाते हैं,,,किसी से क्या आइने में खुद से भी कुछ नहीं कह पाते हैं,,,
ये घुटन ,,, सांसों का भारी होना,,,,आंखो का पत्थर होना ,,,
धीरे धीरे ये guilt आपके पूरे वजूद को निगल जाता है,,,,,
© char0302
उसे चुना भी तो मैंने ही था
(ता'जीर=सजा़)
guilt कहें या आत्मगलानी,,,
पर जब ये जहन पर छा जाती है तो दिल और दिमाग को एक चुप्पी की काली चादर में ढक लेती है,,,,,आप चाहे फिर जितनी भी जोर से चीखे ,,ये आवाज़ किसी तक नहीं पहुंचती हैं,,,,
शोर सन्नाटा बन जाता है,,,,और
सन्नाटे में बहुत शोर होता है,,,
आप बहुत कुछ कहना चाहते हैं,,,,
दिल खोल कर सब बताना चाहते हैं,,,,
पर किसी से कुछ भी नहीं कह पाते हैं,,,किसी से क्या आइने में खुद से भी कुछ नहीं कह पाते हैं,,,
ये घुटन ,,, सांसों का भारी होना,,,,आंखो का पत्थर होना ,,,
धीरे धीरे ये guilt आपके पूरे वजूद को निगल जाता है,,,,,
© char0302
Related Stories
18 Likes
13
Comments
18 Likes
13
Comments