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आज के जमाने का वसूल है
आज के जमाने का वसूल है
इश्क, मोहब्बत सब फिजूल है
चलता रहेगा सब खैरियत
यही तेरी सबसे बड़ी भूल है
बस एक अरमां है मिलने का
मिलने के बाद दूरियां भी कबूल है
मिट जाए जब प्यास चाहत की
तेरे बिना वो खुद में मशगूल है
कोई नहीं करता किसी का इंतजार
वापस ना आओ तो भी मंजूर है ।
© Bhawna kumari
इश्क, मोहब्बत सब फिजूल है
चलता रहेगा सब खैरियत
यही तेरी सबसे बड़ी भूल है
बस एक अरमां है मिलने का
मिलने के बाद दूरियां भी कबूल है
मिट जाए जब प्यास चाहत की
तेरे बिना वो खुद में मशगूल है
कोई नहीं करता किसी का इंतजार
वापस ना आओ तो भी मंजूर है ।
© Bhawna kumari
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