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खड़े हैं साल के आखिरी किनारे पर
खड़े हैं आज साल के आखिरी किनारे पर,
जहां कुछ छुट गया, कोई रूठ गया,पर
इस साल में खुद से ही मेरी मुलाकात हुई,
चलो अच्छा हुआ ज्यादा न सही थोड़ी तो खुद से बात हुई,
इस साल में कई बार तन्हाइयों की रात हुई,
तो कई बार खुशियों की बरसात हुई,,
शुक्रिया है इस साल का कि इस साल में
खुद को भी खुश रखने की शुरुआत हुई,,,,
©Sumansingh
जहां कुछ छुट गया, कोई रूठ गया,पर
इस साल में खुद से ही मेरी मुलाकात हुई,
चलो अच्छा हुआ ज्यादा न सही थोड़ी तो खुद से बात हुई,
इस साल में कई बार तन्हाइयों की रात हुई,
तो कई बार खुशियों की बरसात हुई,,
शुक्रिया है इस साल का कि इस साल में
खुद को भी खुश रखने की शुरुआत हुई,,,,
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