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नैना ÷
सपनों से भरें
दो नैना मेरे
जिनमें ना तों
नींद हैं
ना ही चैन
ना ही करार
हैं कुछ उम्मीदें
टिमटिमाती हुयीं
हैं कुछ आशायें
जगमगाती हुयीं
चाहत तों हैं
उन्हें पूरा करने की
पर उफ्फ ये ज़ालिम
क़िस्मत हमारी
जो देतीं हैं दगा
हर रोज़ हमे
मंज़िल को पाने में...
© संगीता डेका ❣
दो नैना मेरे
जिनमें ना तों
नींद हैं
ना ही चैन
ना ही करार
हैं कुछ उम्मीदें
टिमटिमाती हुयीं
हैं कुछ आशायें
जगमगाती हुयीं
चाहत तों हैं
उन्हें पूरा करने की
पर उफ्फ ये ज़ालिम
क़िस्मत हमारी
जो देतीं हैं दगा
हर रोज़ हमे
मंज़िल को पाने में...
© संगीता डेका ❣
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