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एक ही इशारे Ek Hi
एक ही इशारे

मिलता नहीं साथ हुस्न वालों का बस दिल जल जाता है देखने वालों नजर तो वो नीचे ही रखते है का अंदाज निराला और अनुत्तर ही रहते है।

कुछ गलती से पूछ लिया तो शामत सहमत आ जाती है शब्दो के बाण से मानो क़यामत नजर आ जाती है बस कोई नहीं पूछ सकता दिल के हाल बेहाल ! पर खुद रहते है हंसी के खजाने से मालामाल |

लड्डू मन में जरूर फुट रहे है कहने को कुछ लब्ज़ एकजुट कर रहे है हो सकता है कल ही कह दे मन की बात मन में ही रख दे।

ना करो मनमानी अपने दिल से कह भी दो आज खुले दिल से हम भी बेतहाशा उस चीज़ के इन्तेजार में है बस इलाज आपके इजहार में ही है।

इतना तो मालुम हो गया बस कहते कहते चेहरा मासूम सा हो गया कौन करता है फिकर आजके ज़माने में? हसीना के एक ही इशारे तैयार रहते है मर मिटने में।

-ek kavita