...

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तू....
जिसे कभी हल ना कर सके
वो एक कठिन सवाल है तू

ढूंढते फिरते थे जिस को कहीं,
वो खोयी सी पहचान है तू

छुपा रखा था कहीं गहराई में जो,
वो आस का एक मोती है तू

खबर जो खुद को भी ना लगने दे
वो बेखबर सा लम्हा है तू

एक कतरा जो भीगा था कहीं
उसकी थमी सी नमी है तू

लिखते हुए जिसे कलम भी
अक्सर ठिठक जाती है

उन अनकहे अल्फाज़ो से बनी
इस दिल की गज़ल है तू

जिसे कह कर भी ना कह ना सकी
वो एक कहानी है तू

भूलने की हर कोशिश नाकाम कर दें
एक ऐसी ज़िद्दी याद है तू

ज्यादा नहीं, बस इतना ही है कि
इस बेजान जिस्म की रूह है तू

© * नैna *