गंगा किनारे
मै खड़ा था गंगा किनारे
सोचा एक कदम और फिर मोकक्षा मेरा
सारे गमों अन्त और छटेगा घना अंधेरा
पर वहाँ का नजारे ने सारे भ्रम तोड़ दिए
दिल रो पड़ा जब देखा तैरती लाशो का काफिला
दिल मे टिस उठी जब दो शहरों ने अपनों से मुंह फेरा
ना जाने उन...
सोचा एक कदम और फिर मोकक्षा मेरा
सारे गमों अन्त और छटेगा घना अंधेरा
पर वहाँ का नजारे ने सारे भ्रम तोड़ दिए
दिल रो पड़ा जब देखा तैरती लाशो का काफिला
दिल मे टिस उठी जब दो शहरों ने अपनों से मुंह फेरा
ना जाने उन...