अपने अनजाने
कोई ना समझा हमें, ना हम किसी को समझा पाए
अकेले आए है और अकेले ही जाएगे
जब कोशिश की समझाने की, तो जज़्बात को बयान ना कर पाए,
लगता था की बिन बोले सब समझा जाएगे
पर बोलने पर भी कुछ समझा ना पाए,सिर्फ गुनहगर बन कर रह गए,
जैसे सब की नजरों मे गिरे हुए थे, उनकी नजरों मे भी खुद को गिरा हुआ पाया
वो जानते है हम को, हम उनका खून है
फिर भी वो इतने अनजान कैसे बन गए
क्यों उन्हे वो दर्द...
अकेले आए है और अकेले ही जाएगे
जब कोशिश की समझाने की, तो जज़्बात को बयान ना कर पाए,
लगता था की बिन बोले सब समझा जाएगे
पर बोलने पर भी कुछ समझा ना पाए,सिर्फ गुनहगर बन कर रह गए,
जैसे सब की नजरों मे गिरे हुए थे, उनकी नजरों मे भी खुद को गिरा हुआ पाया
वो जानते है हम को, हम उनका खून है
फिर भी वो इतने अनजान कैसे बन गए
क्यों उन्हे वो दर्द...