...

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आखिर वो हो क्यों नसीब आते हैं
#त्रिभ्यूट_इन_इंक

लोग यों ही पल में अकेला छोड़ जाते हैं
उन्हें क्या पता
कोई कितना तड़पता है
उन यादों में
जो हर पल उनके इर्द गिर्द घूमती है।

वो शक्स
हर पल खुदा से इक ही सवाल करता होगा
आखिर क्यों...?
जो नसीब में नहीं होते,
आखिर क्यों वो ही नसीब में आते हैं।

पूछो इनसे कितने अरसे लगते है
सर्द रातों में नम पलकों से अश्रुओं का
महिका सा जम जाना,
पूछो इनसे
कितना मुश्किल होता है उस दर्द भरे
पल का मन में यों थम जाना

सुना था किसी को शिद्दत से चाहो तो
क़ायनात भी
मिलाने में साथ देती है,
देखों तो,
हमारी बारी आई तो
खुदा ने ये रिवाज़ ही बदल दिया।

चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet143
@Smruti