...

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'आज भी इंतज़ार है।
माना की अब बात नहीं होती
रोज़ -रोज़ मुलाकात नहीं होती,
शायद बदल गए हैं रास्ते अब
पर वो दौर है जो भुलाई नहीं जाती।

जो भी था वो अच्छा था
वक्त के साथ वो अपना था,
वो छिप-छिप कर निहारना भी
मानो न मानो पर सच्चा था।

दूर से देख कर खुश हो जाना
पास जाओ तो चुप हो जाना,
यह सब जरूरी था
क्योंकि तब भी तो दिल बच्चा था।

हां वक्त के साथ हम...