...

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नया सफर
शाम-ऐ -सफर में मिला नहीं
हा एक सितारा यहा वही है

जहां नही है ऐ एक पुराना
हा वो पुराना जहां वही हैं

जहा पर जंगल मे घर था हमारा
तो उस जगह का पता नही हे

मै बहुत भटका ख्बाव ऐ सफर मे
बस मेरे ख्बाबों का पता नहीं हैं

भटक गया हू मैं एक जहा मे
अभी तो खुद से भी मिला नही ही

निकल पङा हू कल्ब ऐ कलम पर
मै अपनी नज्मों से मिला नही ही

बहुत अर्से से मिला जो गजल से
क्या अपनी डगर से भटक गया हु

कई ख्बाव है जो है तो अधूरे
किसी और दुनिया में तब्दील होगे

शायर जो ठहरे कहते चलेगे
नई- पुरानी नज्मे गहेगे

गजरे कहेगे,,,,
❤️ सत्यम दुबे ❤️🕊️🌚



© Satyam Dubey

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