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दिनकर(२३सितम्बर)
मैं सब कवियों से कहता हूं,
सम्मान की तू न सौदाकर ।
गर राष्ट्रप्रेम में मरना हो,
सम्मान सहित तू रख दे सर।
तू देखी देखा करके मत ,
कवियों पर आँच को आने दे।
शिव सम गरल को पी करके,
लेखनी का मान बढ़ाने दे।
मेरे इस जन्म दिवस पर तू,
प्रण कर धनपति राय होने का।
फोटो में फटे जूते पर भी ,
संदेश देते हरदम हंसने का ।
निराला ने कभी न समझौता की,
जीवन बिताई फक्कड़ता में ।
पर झुके नहीं धन के आगे ,
अभाव के साथ गए अकड़ता में ।
यदि बनना है तो इन सम बन,
खाना पड़े भले शकरकंद ।
वरना कलम को रख दे तू,
बनाओ मत चापलूसी का छंद।
© DRGNRAI
सम्मान की तू न सौदाकर ।
गर राष्ट्रप्रेम में मरना हो,
सम्मान सहित तू रख दे सर।
तू देखी देखा करके मत ,
कवियों पर आँच को आने दे।
शिव सम गरल को पी करके,
लेखनी का मान बढ़ाने दे।
मेरे इस जन्म दिवस पर तू,
प्रण कर धनपति राय होने का।
फोटो में फटे जूते पर भी ,
संदेश देते हरदम हंसने का ।
निराला ने कभी न समझौता की,
जीवन बिताई फक्कड़ता में ।
पर झुके नहीं धन के आगे ,
अभाव के साथ गए अकड़ता में ।
यदि बनना है तो इन सम बन,
खाना पड़े भले शकरकंद ।
वरना कलम को रख दे तू,
बनाओ मत चापलूसी का छंद।
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