...

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मासूमियत पर ग्रहण
एक लड़की की जिंदगानी हम सबके लिए कहानी बन गई,
छीन ली गई उससे मासूमियत पर वो अख़बार की शोभा बन गई,
क्या कसूर उस मासूम का किस किए की उसने सजा पाई,
अपनों के ही हाथों से वो जब अपनी आबरू न बचा पाई,
महज़ नौ साल की थी तब दुनिया दारी से अनजान थी,
जिन अपनों को समझती दुनिया वो उनके इरादों से अनजान थी,
बहाना देकर चॉकलेट का करीब वो उसके आ गया,
अपने नापाक इरादों को हकीकत करने में जुट गया,
बेपरवाह वो इन बातों से सही गलत का फर्क न पहचान पाई,
पर इस हादसे ने उसकी मासूमियत पर गंदगी...