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भारत
भारत तेरी महिमा का कितना कर सकता गुणगान मैं
हर्ष – उल्लास से सराबोर हम रहते दिवाली रमजान में
तेरी कीर्ति पूरे जग को भाए
देखा यश, तेज़ चमके इमान में
घाटी की स्वेत चादर में शान्ति का संदेश है
कमजोर कभी झुकने ना पाए पगड़ी को आदेश है
हरिद्वार की शाश्वत छाया आस्था का उपदेश है
गंगा की पावन लहरों में शीतलता भी लबरेज़ है
शीमला में सुंदर वादी
और हरियाणवी पहलवान है
तुझको समर्पित राणा का शूल
और तूही दिल्ली का स्वाभिमान है
सूरत की साड़ी आदर्श बनी
नारी का उत्तम संस्कार है
पर मातृ भूमि की रक्षा करने
तत्पर लक्ष्मी की तलवार है
बिरसा मुंडा का अथक परिश्रम
खिलाफ़ अन्याय के हुंकार है
धंजय बोरगोहेन ने किया असम में
अंग्रेज़ी सत्ता का तिरस्कार है
सिक्किम नाग मानी मिज़ोरम
त्रिपुरा में अद्भुत प्यार है
मेघ मेघालय अरुणाचल में समाई
सूर्य कृपा की बयार है
मध्य बागेश्वर सरकार की महिमा
छत्तीसगढ़ी बागेश्वरी देवी की जय जयकार है
झारखंडी रुतबे में झलकता
देवघर का संस्कार है
बंगाली दोही मिस्ठी
शुभ आगमन का संचार है
पश्चिम की पठारे है शौर्य की छाती
कही भगवे का पंचम, शिवाजी की हुंकार है
पाव पखारे सागर भी तेरा
सब झुके हैं तेरे सम्मान में
तेरी स्मत की रक्षा है सूरमाओं के स्वाभिमान में
चाहा जिसने तेरा बुरा सब पहुंच गए शमशान में
भारत तेरी महिमा का कितना कर सकता गुणगान मैं
© Abhishek maurya
हर्ष – उल्लास से सराबोर हम रहते दिवाली रमजान में
तेरी कीर्ति पूरे जग को भाए
देखा यश, तेज़ चमके इमान में
घाटी की स्वेत चादर में शान्ति का संदेश है
कमजोर कभी झुकने ना पाए पगड़ी को आदेश है
हरिद्वार की शाश्वत छाया आस्था का उपदेश है
गंगा की पावन लहरों में शीतलता भी लबरेज़ है
शीमला में सुंदर वादी
और हरियाणवी पहलवान है
तुझको समर्पित राणा का शूल
और तूही दिल्ली का स्वाभिमान है
सूरत की साड़ी आदर्श बनी
नारी का उत्तम संस्कार है
पर मातृ भूमि की रक्षा करने
तत्पर लक्ष्मी की तलवार है
बिरसा मुंडा का अथक परिश्रम
खिलाफ़ अन्याय के हुंकार है
धंजय बोरगोहेन ने किया असम में
अंग्रेज़ी सत्ता का तिरस्कार है
सिक्किम नाग मानी मिज़ोरम
त्रिपुरा में अद्भुत प्यार है
मेघ मेघालय अरुणाचल में समाई
सूर्य कृपा की बयार है
मध्य बागेश्वर सरकार की महिमा
छत्तीसगढ़ी बागेश्वरी देवी की जय जयकार है
झारखंडी रुतबे में झलकता
देवघर का संस्कार है
बंगाली दोही मिस्ठी
शुभ आगमन का संचार है
पश्चिम की पठारे है शौर्य की छाती
कही भगवे का पंचम, शिवाजी की हुंकार है
पाव पखारे सागर भी तेरा
सब झुके हैं तेरे सम्मान में
तेरी स्मत की रक्षा है सूरमाओं के स्वाभिमान में
चाहा जिसने तेरा बुरा सब पहुंच गए शमशान में
भारत तेरी महिमा का कितना कर सकता गुणगान मैं
© Abhishek maurya
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