...

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मैं खुद को बहुत याद आता हूं..
खुद को मैं
बहुत याद आता हूं,
हंसता हूं हमेशा
और सबको हंसाता भी हूं,
पर अक्सर गुमसुम सी
गहराइयों में खो जाता हूं,
तब खुद को मैं
बहुत याद आता हूं l
हर जगह जो
पहले मैं अकड़ जाता था,
झूठी शान
के खातिर लड़ जाता था,
अब चुभते हुए तानों
को भी हस के सह जाता हूं,
सही होते हुए भी
ना आंख उठा पाता हूं,
तब खुद को मैं
बहुत याद आता हूं l
थी जब पास में
तब करी ना कदर वक्त की,
लड़कपन की
जिद्द वो बड़ी सख़्त थी,
जितना चाहूं मैं
पाना उतना खो जाता हूं,
चाह कर भी ना
खुद को मैं पा पाता हूं,
तब खुद को मैं
बहुत याद आता हूं_!!
दीपक
१०.०१.२०२४