स्त्री ...........✍️
इतनी मेहनत - ओ मुश्कक्त के बाद भी
कोई कमी कैसे रह जाती है.........
सबके लिए जीते हुए भी हर लम्हा
भरे परिवार के बीच वो अकेली रह जाती है ............
कुछ नहीं कहती वो खामोश जज्बातों - सी...
कोई कमी कैसे रह जाती है.........
सबके लिए जीते हुए भी हर लम्हा
भरे परिवार के बीच वो अकेली रह जाती है ............
कुछ नहीं कहती वो खामोश जज्बातों - सी...