...

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अधूरी मोहब्बत
यें इश्क़ है या आग है
अधूरे लफ्ज़ है या खुली किताब है,

सबको पता है अंजाम इस मोहब्बत का
फिर भी लोग करने के लिए बेताब हैं,

छोड़कर चले जाते हैं हर किसी के महबूब यहां
वास्ते फ़िज़ूल है और बेबुनियाद से जज़्बात हैं,

कसमें वादें खाकर देते हैं लोग धोखा यहां पर
बस एक ज़हन में हरदम चलती रहती वो मुलाकात है,

और चालाक लोगों को बताया जाता है अच्छा यहां
इस जालिम दुनिया में इस शायर की क्या औकात है