6 views
गर्मी का दस्तूर...
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु,
ये सोचने की बात है,
गर्मी का दौर है,
सर्दी अभी दूर है,
इंसान सूरज से मजबूर है,
सूरज ग्रीष्म ऋतु से मजबूर है,
वर्षा अभी काफी दूर है,
बादल भी समय से मजबूर है,
कोई क्या कर सकता है
ये तो प्रकृति का उसूल है।
© राज
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का साहु,
ये सोचने की बात है,
गर्मी का दौर है,
सर्दी अभी दूर है,
इंसान सूरज से मजबूर है,
सूरज ग्रीष्म ऋतु से मजबूर है,
वर्षा अभी काफी दूर है,
बादल भी समय से मजबूर है,
कोई क्या कर सकता है
ये तो प्रकृति का उसूल है।
© राज
Related Stories
9 Likes
0
Comments
9 Likes
0
Comments