...

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मुलाकात
कल ही की तो वो मुलकात थी
कल ही तो वो मेरे साथ थी
चंद घंटे , सालों से लग रहे है
जरूर उसमे ही कुछ बात थी
ख्वाहिशें कुछ अधूरी रह गयी
वो नींद मुझे छूकर कुछ कह गयी
सहलाती सहलाती मेरे बालों को
आग वो अंदर ही सह गयी
भले की न किया होंठो को गिला मेरे
पर वो मेरी प्यास बुझा गयी
आयी थी वो बस , मिलने मुझसे
देखकर मेरे हालत , वो अपने
भी सुना गयी