...

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मजबूरी

झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
भूखे पेट को रोटी जरूरी है;
कमज़ोर नहीं पर मजबूरी है,
मासूम चेहरों पर मुस्कान लाना जरूरी है;
Parul Tara