...

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मन
अति विशिष्ट कुछ अप्रिय लगे!मन क्यूँ ऐसे व्यवहार करे
जहां अडिग रहना शाश्वत हो! वहां निम्न आधार करे
दृष्टि करे अवरोधित,विस्मृत,चेतन को भी जड़ कर दे
किसी जीव को मोक्ष प्राप्त हो,मोती को कंकड कर दे
अनंत शाखा,अगणित साधन प्रकट करे और अंत करे
बांधे और स्वयं बंध जाए, मृत को भी जीवंत करे
क्यूँ, कैसे,कब,कौन,कहाँ बस प्रश्नों की बौछार करे
जहां अडिग रहना शाश्वत हो! वहां निम्न आधार करे।।
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