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Dear Parents ❤️🤍🙏🙏
आशा की एक किरण लेकर आई हूं,
मुठ्ठी में कुछ रंग भर कर लाई हूं,
बस समझ नही आ रहा, कौन_ सा रंग कहां भरूं,
थोड़ा वक्त दो मुझे,
ये उलझन भी सुलझा लूंगी।
तेरे आंगन की रोशनी बन कर आई हूं, बोझ न समझना,
जल्दी ही इस रोशनी में चमक लेकर आऊंगी।
पता है कि बहुत धीरे कदम बढ़ा रही
पर काबिल बन कर ही बैठूंगी, ये वादा खुद से की है।
भूल गई हूं खुद को निहारना, क्योंकि अब आंखो में सिर्फ आपका चेहरा घूमता है,
उन चेहरों की उदासी को दूर करके ही अब मुझे भी सुकून आयेगा।
माफ करना मुझे परेशान कर रही हूं इस उम्र में भी, इरादा तो ये नही था
कुछ वक्त और फिर मैं कंधा बन जाऊंगी
गर्व कर सको मुझ पर और खुद पर
इस काबिल बन कर आऊंगी।
फिर कोई फेलियर ना कह पाएगा
और कमजोर या कम दिमाग समझ कर बेवजह वार न कर पायेगा
इस काबिल बन कर आऊंगी।
© All Rights Reserved
मुठ्ठी में कुछ रंग भर कर लाई हूं,
बस समझ नही आ रहा, कौन_ सा रंग कहां भरूं,
थोड़ा वक्त दो मुझे,
ये उलझन भी सुलझा लूंगी।
तेरे आंगन की रोशनी बन कर आई हूं, बोझ न समझना,
जल्दी ही इस रोशनी में चमक लेकर आऊंगी।
पता है कि बहुत धीरे कदम बढ़ा रही
पर काबिल बन कर ही बैठूंगी, ये वादा खुद से की है।
भूल गई हूं खुद को निहारना, क्योंकि अब आंखो में सिर्फ आपका चेहरा घूमता है,
उन चेहरों की उदासी को दूर करके ही अब मुझे भी सुकून आयेगा।
माफ करना मुझे परेशान कर रही हूं इस उम्र में भी, इरादा तो ये नही था
कुछ वक्त और फिर मैं कंधा बन जाऊंगी
गर्व कर सको मुझ पर और खुद पर
इस काबिल बन कर आऊंगी।
फिर कोई फेलियर ना कह पाएगा
और कमजोर या कम दिमाग समझ कर बेवजह वार न कर पायेगा
इस काबिल बन कर आऊंगी।
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