...

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तुम्हारी लाल बिंदी❤️❣️❣️❣️❣️
जिसकी लाल बिंदी पर ग्रन्थ लिखना था,
वो तो अब किसी और की गज़ल बन गयी,❤️❤️

इतनी कायम है वो अब भी जहन में मेरे,
कोरे कागज पर चार लकीर जोड़ी,
और उसकी शकल बन गयी❤️❤️

लड़कियों के चेहरे अब भी याद नहीं रहते मुझे,
बस "उससे "आंखें मिलती हैं ,
या हंसी इसी तरह की मेरी नजर बन गयी❤️❤️❤️

पहली भी वो ही थी,और आखिरी भी वो ही है,
मोहब्बत अब मेरे लिए गुजरी हुई डगर बन गयी❤️❤️❤️

(# जब भी इंस्पिरेशन नहीं होती ना मेरे पास,
तो अब भी मैं बस तुम्हें ही लिखता हूँ❤️❤️)
© सौ₹भmathu₹