...

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तुम आगे बढ़ते जाना।
राह कठिन थी,
और मंजिल थी बहुत दूर,
पथ पर राही चलता ही रहा,
जब तक हो न गया,
वह थक कर चूर।
चींटी से सीखा उसने,
निरंतर आगे बढ़ते जाना।
आई जो राह में अड़चन,
कर प्रभु का स्मरण,
तुम धैर्य रख,आगे बढ़ते जाना।
© mere ehsaas