💁♀️ बेटियाँ 💁♀️
💁♀️..बेटियाँ ..💁♀️
काली अँधेरी रात में रौशनी है बेटियाँ ।
काटों मे खिले गुलाब-सी होती है बेटियाँ ।।
एक कुल को रौशन करता है अगर बेटा।
तो दो-दो कुल की शान होती है बेटियाँ ।।
सब कुछ लुटा कर भी मुस्कुराती है बेटियाँ ।
मिट्टी के बने बर्तन-सी होती है बेटियाँ ।।
गम जो पड़े माँ-बाप पर तो सहलाती है बेटियाँ ।
अमृत भरे कलश-सी होती है बेटियाँ ।।
असहाय हो जब माँ-बाप तो लाठी है बेटियाँ ।
यह बेटी की परिभाषा नहीं अपरिभाषित है बेटियाँ ।।
© Ritika Rani 😊
काली अँधेरी रात में रौशनी है बेटियाँ ।
काटों मे खिले गुलाब-सी होती है बेटियाँ ।।
एक कुल को रौशन करता है अगर बेटा।
तो दो-दो कुल की शान होती है बेटियाँ ।।
सब कुछ लुटा कर भी मुस्कुराती है बेटियाँ ।
मिट्टी के बने बर्तन-सी होती है बेटियाँ ।।
गम जो पड़े माँ-बाप पर तो सहलाती है बेटियाँ ।
अमृत भरे कलश-सी होती है बेटियाँ ।।
असहाय हो जब माँ-बाप तो लाठी है बेटियाँ ।
यह बेटी की परिभाषा नहीं अपरिभाषित है बेटियाँ ।।
© Ritika Rani 😊