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खद्योत
देख एक खद्योत से जगमग अभ्यारण
अंधकार में भाव सहज हो साधारण
चित्त को जब भी छाया ढक दें
मनुज को जब ये माया ठग ले
एक सूक्ष्म किरण निकले अंतर से
चमक उठे काया, हो ज्योति का वरण
देख एक खद्योत से जगमग अभ्यारण
तुम किस भाव मे हो की कुंठित हो?
क्या पीड़ा है जिस से विचलित हो?
देखो ईशान में चमक रहा है खद्योत
नही बनाओ अकारण ही दुख के कारण
देख एक खद्योत से जगमग अभ्यारण
उचित अनुचित का भेद, गूढ़ है मत उलझो
जीवन एक रात्रि मानो, शैय्या में मत उलझो
किसको ढूंढ रहे हो, सब अंतर का भ्रम
यात्रा में हो निश्चिंत होकर करते रहो भ्रमण
देख एक खद्योत से जगमग अभ्यारण
अंधकार में भाव सहज हो साधारण
© All Rights Reserved
अंधकार में भाव सहज हो साधारण
चित्त को जब भी छाया ढक दें
मनुज को जब ये माया ठग ले
एक सूक्ष्म किरण निकले अंतर से
चमक उठे काया, हो ज्योति का वरण
देख एक खद्योत से जगमग अभ्यारण
तुम किस भाव मे हो की कुंठित हो?
क्या पीड़ा है जिस से विचलित हो?
देखो ईशान में चमक रहा है खद्योत
नही बनाओ अकारण ही दुख के कारण
देख एक खद्योत से जगमग अभ्यारण
उचित अनुचित का भेद, गूढ़ है मत उलझो
जीवन एक रात्रि मानो, शैय्या में मत उलझो
किसको ढूंढ रहे हो, सब अंतर का भ्रम
यात्रा में हो निश्चिंत होकर करते रहो भ्रमण
देख एक खद्योत से जगमग अभ्यारण
अंधकार में भाव सहज हो साधारण
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