...

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पग -पग बोलो
#पग-पग
पग -पग धरती पग -पग अम्बर
क्या कुछ ना है पग -पग बोलो
पग- पग अनिल व पग -पग सलिल
क्या कुछ मिला है पग -पग बोलो
अमृत सा है जीवन अपना
क्या कुछ नया है पग -पग बोलो
उम्र पिघलती है बस यू ही
अपना क्या है पग -पग बोलो
नई सुबह नया शाम जो देखा
मधुर मिलन है पग -पग बोलो
उल्लास ह्रदय मे द्वंद करें है
श्रृंगार की बेला पग -पग बोलो
खग के मन मे क्या है बसता
नृत्य वीरह है पग -पग बोलो
मंद मंद मुस्काती अखियां
चित मरण है पग -पग बोलो
शौर्ए अधर है चंचल मन की
पथिक सफर है पग -पग बोलो।
© Ambuj Pathak