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पिता
पिता
तुम ही बताओ,
चंद पंक्ति में कैसे बयां कर दूॅं..
क्या है पिता???
शब्द करेंगे क्या भावनाओं से न्याय,
यह है मेरी विडंबना।
जिन्होनें चलना सिखाया,
तो लड़खड़ानें पर संभाल लिया।
जब आई मुसीबतें तो,उन्हें भी डरा दिया।
उनका सुख,उनका आराम,
बंद था जिम्मेदारी के किसी संदूक में।
पिता हमेशा अपनों की ,खुशी के लिए जिया।
वो पहाड़ सा खड़ा रहा,
इसलिए हमनें किया ही नहीं,
किसी आंधी-तूफान का सामना।
उनके कमाए धन में,
सभी के लिए उपहार था,
पर उन्हें अपनी चिंता कहाॅं...
पापा करतें हैं ये वादा की,
एक दिन आपको आपके संघर्ष का परिणाम देगें।
आपकी सीख से हम मेहनत कर,
मंजिल पा ही लेंगे।
करेंगे आपका सर फक्र से ऊॅंचा
और जो आपनें हमारे लिए किया,
उसका कुछ प्रतिशत भी हमारे बस की बात नहीं,
पर कुछ जिम्मेदारियां उठाकर,आपको सुख सुविधा और आराम देंगें।
काजल
Dedicated to all strugglers🔥
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