...

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पिता


पिता

तुम ही बताओ,
चंद पंक्ति में कैसे बयां कर दूॅं..
क्या है पिता???
शब्द करेंगे क्या भावनाओं से न्याय,
यह है मेरी विडंबना।

जिन्होनें चलना सिखाया,
तो लड़खड़ानें पर संभाल लिया।
जब आई मुसीबतें तो,उन्हें भी डरा दिया।

उनका सुख,उनका आराम,
बंद था जिम्मेदारी के किसी संदूक में।
पिता हमेशा अपनों की...