...

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दर्द💔
वो रोज करना इतंजार तुम्हारा ,
सिर्फ दर्द ही दे रहे हैं,
मर जाने का जब मन हो,
दिमाग फर्ज़ बाकी है केह रहे है।।

हमारा वो ,कदम कदम पे साथ देना ,
जो कभी सोचा नहीं तुमने,
खुश देखने को तेरा चेहरा,
जो मूरदतें गुजार दी हमने।।

बात कहने की उम्मीद क्या होगा,
जिसे होना ना होने का फिक्र नहीं है,
क्यू रहती हो इतनी उदास,
जिसकी लब्ज़ पर ये जिक्र नहीं है।।

टूट रहे हैं हम ,किस के आगे जताए,
खुद को ही हर बार बताए हुए हैं,
शिकवा भी किस्से करें इस दर्द का ,
खुद ही खुदको सताए हुए हैं।।

एक दिन बिखर जायेंगे ,देख ना,
बचने का कोई कायदा नहीं होगा,
अफसोस होगा भी तो , देख ना,
उसका कोई फायदा नहीं होगा।।

सोच में डूबे थे , सबको क्या लगेगा,
क्या मेरा जिक्र होगा लब्ज़ पर,
आखरी ख्वाहिश बता दूं तो सुन लेना,
पास भी मत आना मेरे कब्र पर ।।