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दिल का रिश्ता
दिल का रिश्ता दिल से निभाया होगा
शायद इसलिए दिल उसने जलाया होगा
कभी तक देता गवाही बेगुनाही की
हर किसी ने यहाँ उसे सताया होगा
जो हो गया खामोश एक मुद्दत से
उसके दिल ने कितना उसे आजमाया होगा
अकेला ही रह गया वो दुनियाँ की भीड़ मे
दिल का रिश्ता किसे यहाँ सुहाया होगा
बहुत दिन हुए अब वो दिखता नहीं कहीं मुझे
दर्द का कारवाँ था गुजर गया होगा
शायद इसलिए दिल उसने जलाया होगा
कभी तक देता गवाही बेगुनाही की
हर किसी ने यहाँ उसे सताया होगा
जो हो गया खामोश एक मुद्दत से
उसके दिल ने कितना उसे आजमाया होगा
अकेला ही रह गया वो दुनियाँ की भीड़ मे
दिल का रिश्ता किसे यहाँ सुहाया होगा
बहुत दिन हुए अब वो दिखता नहीं कहीं मुझे
दर्द का कारवाँ था गुजर गया होगा
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