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ये इश्क़ नहीं आसाँ..............✍🏻
ये इश्क़ नहीं आसाँ ज़माने के मिज़ाजों में
मेरा इश्क़ बे-ख़बराँ है नए नए रिवाजों में
तमाम सवालों में उलझा हुआ है ये इश्क़
इश्क़ के इम्तिहाँ बहुत है आज समाजों में

नए नए फसानों की कहानी आधी अधूरी
ये इश्क़ नहीं आसाँ अंजान एहतिजाजों में
इंतजार में इक उम्र इश्क़ की ढ़लने लगी है
इक दास्ताँ का ख़ामोशी पानी है आँखों में

लबों पे इश्क़ की रुसवाई कुछ इस तरह
ये इश्क़ नहीं आसाँ इक तरफा बाँहों में
यूं ही नहीं ज़माने का ये खेल तमाशा है
कब किसका कहां जवाँ है मिज़ाजों में

एहसास-ए-बेफ़िक्री का ज़िक्र लबों पे यूंही
ये इश्क़ नहीं आसाँ ज़माने की इन राहों में
झूठी - मूठी तसल्लियों बयां है आज - कल
जज़्बाती रातों का कारवाँ अब है तबाहों में

क्या - क्या कहानी क्या - क्या मंजर समेटे
ये इश्क़ नहीं आसाँ फनकारों के पनाहों में
आज इसका कल उसका होता है ये इश्क़
बिक जाता है इश्क़ का धुआँ भी चेहरों में

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes