...

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अन्तिम शब्द
सोंचा ना था बीत जाएंगी घड़ियां इतनी जल्दी
अभी भी लग रहा मैं यहां आया तो था कल ही

सफर के साथी मेरे वक्त के साथ तो बदलते रहे
मैं न बदला सबका साथ निभाता रहा हर पल ही

मिला जो भी मेरी मेहनत का रब की मेहरबानी है
सच्चाई की राह पर चला किया ना कोई छल ही

तूफानों से टकराया हूं मौत को भी गले लगाया है
दिल में रखा देश प्रेम का बहता दरिया कल कल ही

दुआं मिली मित्रों की सीनियर्स का सर पर हाथ रहा
जिस भी मिशन पर बढ़ा मिला सदा उसका फल ही

बहुत मिला सम्मान मुझे शब्दों में कह नहीं सकता
जुड़ा रहूं ताउम्र मैं आप सबसे जीवन होए सफल ही

रब से मेरी है अरदास मेरा देश छुता रहे आकाश
मैं रहूं या ना रहूं ये रहे चमकता सदा विश्व पटल ही
© शब्द सारथी