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अन्तिम शब्द
सोंचा ना था बीत जाएंगी घड़ियां इतनी जल्दी
अभी भी लग रहा मैं यहां आया तो था कल ही

सफर के साथी मेरे वक्त के साथ तो बदलते रहे
मैं न बदला सबका साथ निभाता रहा हर पल ही

मिला जो भी मेरी मेहनत का रब की मेहरबानी है
सच्चाई की राह पर चला किया ना कोई छल ही
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