"मूक नयन"
मौन रहकर भी मूक नयनों से
अविराम ताकना!!
अधरों पर किंचित मुस्कान सजाएं
बस उसके ही स्वप्न सजाना!!
सुदूरवर्ती है वो फिर भी मगर,उसको
अनुभूतियों में अपने निकट समझना!!
वो अतिरिक्त बातें नहीं करती,बस खुद
में ही वो खोयी सी रहती!!
प्रेम करने के उपरांत भी वो दृष्टिगोचर
नहीं करती अति असमंजस में है वो कोमलांगी!!
© Deepa🌿💙
अविराम ताकना!!
अधरों पर किंचित मुस्कान सजाएं
बस उसके ही स्वप्न सजाना!!
सुदूरवर्ती है वो फिर भी मगर,उसको
अनुभूतियों में अपने निकट समझना!!
वो अतिरिक्त बातें नहीं करती,बस खुद
में ही वो खोयी सी रहती!!
प्रेम करने के उपरांत भी वो दृष्टिगोचर
नहीं करती अति असमंजस में है वो कोमलांगी!!
© Deepa🌿💙
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