...

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अब चले जायेंगे हम ....
दो बूंद आंसुओं की लेकर चले जायेंगे
अब लौटकर ना तेरी गलियों में आयेंगे

सोचा तो था तुमको खुशी देकर जायेंगे
तेरे होंठों को फिर से हंसी देकर जायेंगे

तुमको आदत थी अंधेरों में घिरे रहने की
कितना अब हम अपने दिल को जलाएंगे

हम भी सबकुछ लुटाकर तेरे दर पे आये थे
तुमको खुश देखने को ही तो हाथ बढ़ाये थे

हम तो इक आम सी शख्सियत वाले इंसा थे
हम तेरी दुनियां में खास बनने को नहीं आये थे !!