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" तरसी हैं "
" तरसी हैं "
कैसे दिखाऊँ तुम्हें रंगीनियाँ..?
मेरी निगाहें इक़ ज़माने से
तुम्हारे दीदार के लिए कितना तरसी हैं..!
कैसे कह दूँ , तुम्हें ऐ मेरे हमसफ़र..?
मेरे लब तुम्हारे लबों की छुअन
के लिए बेइंतहा तरसीं हैं..!
फ़ज़ा का रंग बेशक़ गुलाबी हुआ है..!
मगर तुम्हारा एक लम्हा साथ पाने के लिए..
ऐ मेरे हमनवाँ , मेरी रूह बेपनाह तरसी है..!
🥀 teres@lways 🥀
कैसे दिखाऊँ तुम्हें रंगीनियाँ..?
मेरी निगाहें इक़ ज़माने से
तुम्हारे दीदार के लिए कितना तरसी हैं..!
कैसे कह दूँ , तुम्हें ऐ मेरे हमसफ़र..?
मेरे लब तुम्हारे लबों की छुअन
के लिए बेइंतहा तरसीं हैं..!
फ़ज़ा का रंग बेशक़ गुलाबी हुआ है..!
मगर तुम्हारा एक लम्हा साथ पाने के लिए..
ऐ मेरे हमनवाँ , मेरी रूह बेपनाह तरसी है..!
🥀 teres@lways 🥀
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