क्यूँ ?
जब मरना था तो जन्मां ही क्यूँ
जब रिश्ते छूटने थे तो जुड़े ही क्यूँ
जब रुकना था तो चला ही क्यूँ
जब कर्मों से छूटना था तो किये ही क्यूँ
जब शरीर मिटना था तो बना ही क्यूँ
जब जागना ही था तो सोया ही क्यूँ
घर लौटना ही था तो घर से गया ही क्यूँ
जीवन पाना था तो मरा...
जब रिश्ते छूटने थे तो जुड़े ही क्यूँ
जब रुकना था तो चला ही क्यूँ
जब कर्मों से छूटना था तो किये ही क्यूँ
जब शरीर मिटना था तो बना ही क्यूँ
जब जागना ही था तो सोया ही क्यूँ
घर लौटना ही था तो घर से गया ही क्यूँ
जीवन पाना था तो मरा...