...

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कल्पना
खुला आसमान बैठे हम दोनो साथ
ना फिक्र किसी की
और न माथे पर कोई तलवार,
खुली जो बाहें तुम्हारी
उसमे समाई खुशी हमारी,
तू जो एक पल को रो दे
तो आंखें हो जाएं मेरी नम,
चलना है साथ तेरे
खुशी हो या फिर गम।

हाल ए दिल तू अच्छे से समझती है
होंगे हम एक
या रहोगी तुम मात्र एक कल्पना........

© sharma