स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
ऐसे ही कहा बनते है किस्से
कुछ उसको भी झुकना है
कुछ मुझको भी झुकना है
कुछ उसका सुनना है
कुछ मुझे सुनाना है
ऐसे ही हम दोनो के सामंजस्य से
हमें अपना घर बसाना है
—अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
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