...

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लौट आ..
साथ गुजारे, वो खूबसूरत साथ का वास्ता,
लौट आ तुम्हे हमारे ताल्लुकात का वास्ता.

एक दूसरे के बाहों में, खोए_सोए रहते थे,
साथ गुजारे उन सारे दिन_रात का वास्ता.
लौट आ तुम्हे हमारे ताल्लुकात का वास्ता.

मिलते ही, एक दूसरे को दिल दे दिया था,
सुन तुम्हे हमारी उस मुलाकात का वास्ता.
लौट आ तुम्हे हमारे ताल्लुकात का वास्ता.

दो जिस्म सही, पर एक जान है हम_तुम,
तुम्हे दोनो के एक_से जज़्बात का वास्ता.
लौट आ तुम्हे हमारे ताल्लुकात का वास्ता.

मैं भी भुला नहीं, तुम्हे भी, याद है सब तो,
दिल दे तुम्हे आखिर किस बात का वास्ता.
लौट आ तुम्हे हमारे ताल्लुकात का वास्ता.

© एहसास ए मानसी