...

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ज़िंदगी
*मैंनें जीवन देखा है ।।*
कण - कण में, क्षण - क्षण में,
दिन के हर पहर में,
मैंनें जीकर देखा है।
हाँ, मैंनें जीवन देखा है ।।
ये शीत लहर, ये ग्रीष्म लहर,
बारिश की बूंदों में लिपटी,
ठंडी ठंडी हल्की पवन, मौसम की हर हवा को मैंनें हाथों से छूकर देखा है।
मैंनें जीवन देखा है ।।
तितलियों के पंखों में,
इंद्रधनुष के रंगों में,
कोयल की कुहकार में,
बादलों की झंकार में,
मैंनें प्रकृति को नये ख्वाब सजाते देखा है।
मैंनें जीवन देखा है ।।
माँ के प्यार में,
पिता के स्वाभिमान में,
बहन की लाड़ में,
भाई की परवाह में,
मैंनें बचपन को हँसते देखा है।
मैंनें जीवन देखा है ।।
बसंत की बयार में,
बारिशों की बौछार में,
सर्दियों की घाम में,
गर्मियों की शाम में,
मैंनें धरा को नित नए रूप धरते देखा है।
मैंनें जीवन देखा है ।।
ना देस गई, ना परदेस गई,
ना ही हर किसी से भेंट हुई,
हाँ माना, कि सारी दुनिया नहीं देखी है मैंनें....
पर सारी दुनिया को अपने आसपास मुस्कराते जरूर देखा है.।
हाँ मैंनें जीवन देखा है ।।