एक खूबसूरत लडकी...
जिंदगी के हर पड़ाव ने...हर मुकाम ने की उसकी बार बार आजमाइश,
मगर वो लड़ी अकेली हर बार...ना करी कोई शिकायत, ना ही कभी कोई फरमाइश।
वक़्त के पहरे हर बार लेकर आए उसके लिए न जाने कितनी ही गर्दिश,
बांधना चाहा उसे सबने कभी बेड़ियों में तो कभी लगाके बंदिश।
पर वो ना रुकी, ना थकी, ना ही हारी...करती राही बस हर रोज़ एक कोशिश,
न जताया, न बताया, न दिखाया और न ही की कभी अपने दर्द की नुमाइश।
कभी खुद भीगती रही, कभी अपनों को भिगोती रही करके अपने प्यार की बारिश,
तो कभी सोखती रही अंजानो को अपनी परवाह से देकर अपनी तपिश।
ऐसी रूह की मुकम्मल हो जाए सब अधूरी ख़्वाहिश,
हर दुआ में मेरी मौजुद रहेगी तेरे लिए ये एक छोटी सी गुजारिश।
नजरो में वो हमेशा बनाए रखे अपनी सादगी से भरी कशिश,
ए खुदा...समझो इसे तुम मेरी इल्तिजा या फिर तुमसे की गई सिफारिश।
© dil_e_akanksha
मगर वो लड़ी अकेली हर बार...ना करी कोई शिकायत, ना ही कभी कोई फरमाइश।
वक़्त के पहरे हर बार लेकर आए उसके लिए न जाने कितनी ही गर्दिश,
बांधना चाहा उसे सबने कभी बेड़ियों में तो कभी लगाके बंदिश।
पर वो ना रुकी, ना थकी, ना ही हारी...करती राही बस हर रोज़ एक कोशिश,
न जताया, न बताया, न दिखाया और न ही की कभी अपने दर्द की नुमाइश।
कभी खुद भीगती रही, कभी अपनों को भिगोती रही करके अपने प्यार की बारिश,
तो कभी सोखती रही अंजानो को अपनी परवाह से देकर अपनी तपिश।
ऐसी रूह की मुकम्मल हो जाए सब अधूरी ख़्वाहिश,
हर दुआ में मेरी मौजुद रहेगी तेरे लिए ये एक छोटी सी गुजारिश।
नजरो में वो हमेशा बनाए रखे अपनी सादगी से भरी कशिश,
ए खुदा...समझो इसे तुम मेरी इल्तिजा या फिर तुमसे की गई सिफारिश।
© dil_e_akanksha