...

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"बेनाम सा रिश्ता"
एकतरफा मोहब्बत में ख़ुद पे,
बस यही सितम ढाते रहे..!

बेनाम सा रिश्ता समझ कर,
दिल को यूँ ही उलझाते रहे..!

वो दूर है कहने को बस,
ख़्यालों में उसे ख़ुद के करीब पाते रहे..!

ख़ूबसूरत है हालाँकि वो,
चाँद सी महबूबा पर..!

सादगी को उसकी हम,
बेइन्तिहाँ बेमतलब चाहते रहे..!
© SHIVA KANT