...

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#ज्ञानकीफुसफुसाहट
#ज्ञानकीफुसफुसाहट
दिल लगता नहीं था पड़ाई -लिखाई में
जब अध्यापक आ जाता था कक्षा में
दिल करता था घूम आएं बहार
क्या? रखा इन किताबों में
जब अकेले होते तो सोचते
किसने बनाई यह किताबे
जो समझ में कुछ आता नहीं
याद रखना भी चाहूं पर घूसे न यह भेजे में
खास कर यह तंग करे यह पर्चों में
एक दिन साधू निकले दिन ढलने में
वह पूछे तूम क्यों बैठे अकेले में
पाठ याद न होता, डॉंट पड़े स्कूलों में
वो हंसने लगे अकेले में,हाथ घुमाने लगे
हवा में और एक कलम आ गई हाथ में
और बोले जब याद तुम कर लो इस कलम
से लिख लेना दस बार फिर न भुलोगे
पर्चों में,खुशी से वह झूम गया
अब पाठ कभी न भूल गया।।



© mmmmalwinder