...

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मोहब्बत
हकीकत है मदहोश, ख्वाबों में भी खुमारी है,
जाने ये मोहब्बत भी कैसी खूबसूरत बिमारी है।

नज़रभर देखा तूने और अधूरी मैं हो गई कामिल,
जाने ये तेरी निगाहों की कैसी हसीं कलाकारी है

चाल-ढाल कुछ बदली-बदली सी हो गई है मेरी,
जाने ये नई-नई खुद से होने लगी कैसी यारी है।

ना तेरे बिना मिले इसे चैन ना आराम ही मिले,
जाने ये मेरे दिल को होने लगी कैसी बेकरारी है।

बड़ी संजीदगी से समझने लगे है खामोशी तेरी,
जाने जज़्बातों में आने लगी कैसी समझदारी है।

© zia